Skip to main content

रामायण परिचय

रामायण हिन्दू रघुवंश के राजा राम की गाथा है। । यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य, स्मृति का वह अंग है। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं, इसके 24000 श्लोक हैं।

                     डाउनलोड करे सम्पूरण रामायण-कथा ...       

कुछ भारतीय कहते हैं कि यह 600 ईपू से पहले लिखा गया। उसके पीछे युक्ति यह है कि महाभारत जो इसके पश्चात आया बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि उसमें जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन है।अतः रामायण गौतम बुद्ध के काल के पूर्व का होना चाहिये। भाषा-शैली से भी यह पाणिनि के समय से पहले का होना चाहिये। 
                            ramayan - Stress Buster
रामायण का पहला और अन्तिम कांड संभवत: बाद में जोड़ा गया था। अध्याय दो से सात तक ज्यादातर इस बात पर बल दिया जाता है कि राम विष्णु के अवतार थे। कुछ लोगों के अनुसार इस महाकाव्य में यूनानी और कई अन्य सन्दर्भों से पता चलता है कि यह पुस्तक दूसरी सदी ईसा पूर्व से पहले की नहीं हो सकती पर यह धारणा विवादास्पद है। 600 ईपू से पहले का समय इसलिये भी ठीक है कि बौद्ध जातक रामायण के पात्रों का वर्णन करते हैं जबकि रामायण में जातक के चरित्रों का वर्णन नहीं है।

हिन्दू कालगणना के अनुसार रचनाकाल


रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है। हिन्दू कालगणना चतुर्युगी व्यवस्था पर आधारित है जिसके अनुसार समय अवधि को चार युगों में बाँटा गया है- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग एव कलियुग जिनकी प्रत्येक चतुर्युग (43,20,000वर्ष) के बााद पुनरावृत्ति होती है। एक कलियुग 4,32,000 वर्ष का, द्वापर 8,64,000 वर्ष का, त्रेता युग 12,96,000 वर्ष का तथा सतयुग 17,28,000 वर्ष का होता है। इस गणना के अनुसार रामायण का समय न्यूनतम 8,70,000 वर्ष (वर्तमान कलियुग के 5,118 वर्ष + बीते द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष) सिद्ध होता है।


                                    Ramayan Text In Hindi, HD Png Download , Transparent Png Image ...

रामायण मीमांसा के रचनाकार धर्मसम्राट स्वामी करपात्री, गोवर्धन पुरी शंकराचार्य पीठ, पं० ज्वालाप्रसाद मिश्र, श्रीराघवेंद्रचरितम् के रचनाकार श्रीभागवतानंद गुरु आदि के अनुसार श्रीराम अवतार श्वेतवाराह कल्प के सातवें वैवस्वत मन्वन्तर के चौबीसवें त्रेता युग में हुआ था जिसके अनुसार श्रीरामचंद्र जी का काल लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व का है। इसके सन्दर्भ में विचार पीयूष, भुशुण्डि रामायण, पद्मपुराण, हरिवंश पुराण, वायु पुराण, संजीवनी रामायण एवं पुराणों से प्रमाण दिया जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

रामायण के प्रमुख पात्र व उनका संक्षिप्त परिचय।

रामायण के प्रमुख पात्र व उनका संक्षिप्त  परिचय। आइये रामायण के पात्रो को जाने।                                   दशरथ - रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कोशल के राजा तथा राजधानी एवं निवास अयोध्या  कौशल्या - दशरथ की बङी रानी, राम की माता  सुमित्रा - दशरथ की मझली रानी, लक्ष्मण तथा शत्रुध्न की माता  कैकयी - दशरथ की छोटी रानी, भरत की माता  सीता - जनकपुत्री, राम की पत्नी  उर्मिला - जनकपुत्री, लक्ष्मण की पत्नी  मांडवी - जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, भरत की पत्नी  श्रुतकीर्ति - जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, शत्रुध्न की पत्नी  राम - दशरथ तथा कौशल्या के पुत्र, सीता के पति  लक्ष्मण - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति भरत - दशरथ तथा कैकयी के पुत्र, मांडवी के पति  शत्रुध्न - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, श्रुतकीर्ति के पति, मथुरा के राजा लवणासूर के संहारक  शान्ता - दशरथ की पुत्री, राम भगिनी  बाली -...

माता सीता की अग्निपरीक्षा की वास्तविकता

सच कुछ लोग माता सीता के बारे में निंदनीय तथा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के बारे में निराधार बातें कहने लगे हैं। कुछ लोग तो प्रभु श्री राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा देते हैं । ये वो लोग हैं जिन्होंने रामायण या रामचरित मानस का पठन तो क्या ढंग से इन ग्रंथों को खोल कर भी नहीं देखा और बातें करते हैं ब्रह्म और ब्रह्मज्ञान की।                    सीता हरण तो बहुत दूर की बात है, उन जैसी पतिव्रता नारी को परपुरूष द्वारा छूना तक असम्भव था। उनके सतीत्व में इतना बल था कि अगर कोई भी परपुरूष उनको स्पर्श करता तो तत्काल भस्म हो जाता। रावण ने जिनका हरण किया वो वास्तविक माता सीता ना होकर उनकी प्रतिकृति छाया मात्र थी। इसके पीछे एक गूढ़ रहस्य है, जिसका महर्षि बाल्मीकि कृत रामायण व गोस्वामी तुलसी कृत रामचरित मानस में स्पष्ट वर्णन है… पंचवटी पर निवास के समय जब श्री लक्ष्मण वन में लकड़ी लेने गये थे तो प्रभु श्री राम ने माता जानकी से कहा- “तब तक करो अग्नि में वासा। जब तक करुं निशाचर नाशा॥” प्रभु जानते थे कि रावण अब आने वाला है, इसलिए उन...

विभीषण को कलंकित करना कितना सही है?

विभीषण कौन था ये बताने की जरूरत तो है नहीं! हम सब जानते हैं कि वह रावण का भाई और बेहद धार्मिक व्यक्ति था. विभीषण को श्रीराम के परम भक्तों में स्थान प्राप्त है, लेकिन वहीं उसे ‘घर का भेदी’ कहकर लोग आज भी संबोधित करते हैं , या यूं कहें कि ये विभीषण का ही दूसरा नाम बन गया है। एक कहावत कही जाती है "घर का भेदी लंका ढाए" । किन्तु, क्या धर्म के रास्ते पर चलने वाले विभीषण को ऐसी संज्ञा देना उचित है? आईए जानने की कोशिश करते हैं ।                                       विभीषण अपने भाई रावण और कुम्भकर्ण की तरह ही राक्षस कुलोत्पन्न था. उसका जन्म महर्षि विश्रवा व असुर कन्या कैकसी के संयोग से हुआ था । तीनों भाइयों ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किए। रावण ने त्रैलोक्य विजयी होने का तो कुम्भकर्ण ने निंद्रासन मांगी। वहीं विभीषण ने जगतपिता से भगवत भक्ति का वरदान मांगा। तप करके रावण ने अपने भाई कुबेर से लंकापुरी छीन लिया और वहां से अपनी सत्ता चलाने लगा। कुम्भकर्ण अपने अजीब ...